Sunday, August 29, 2010

तू चुनले....

बाँध दे ....जाते वक्त..को...
और..मोड़ दे..जहा..तू चाहे...
आने वाले वक्त को तू चूम ले....
और जो चाहे तू.... उसीको...तू चुनले...

लहरों को दे चिर...नाव....दे बहने...
दे किनारोंको...छोड़...सागर की गेहराइया..लांघदे...
तुफानो..को मोड़ दे..जहा तू चाहे...
और जो चाहे तू.... उसीको...तू चुनले....

न कर..इंतज़ार..उगते..सूरज का...
अब तो..रातोको तू यूँ...रौशनी दे...
मिला..नजर...सपनों से...और...करदे उन्हें...पूरी...
और जो चाहे तू.... उसीको...तू चुनले....

न सुन..किसी...दलीलोंको..ना निभा..किसी रस्मो...को..
बना..खुद का..आशियाँ..इस जहाको तू...कुछ ऐसे...
पूछे..खुदा..खुद तुझसे...क्या..तेरा दिल चाहे....
और जो चाहे तू.... उसीको...तू चुनले....उसीको तू...पाले...!

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